نیکولای گومیلیف
زرافه

امروز نگاهت به ویژه اندوه اندود است
و زانوانت در آغوش دستان به ویژه ظریفت،
گوش کن: در دور دست، در آبگیر چاد
زرافه ی ظریفی قدم می زند.

چه استواری و لطفی که او راست،
جلدش مزین با نقش و نگارهای سحر آمیزی
که فقط ماه را یارای برابری با آنهاست
هنگامی که لغزان و جنبان در آبگیرهای وسیع به راه می افتد.

در دور دست بسان بادبان های رنگی کشتی است
و دویدنش مواج، چون پرواز خوشبخت پرنده یی.
می دانم که زمین معجزه های زیادی را گواه خواهد بود
هنگامی که او در غروب به غار مرمرین پنهان گردد.

من افسانه های شاد سرزمین های پررمز و رازی را می دانم
افسانه ی دختر سیاه و عشق آتشین سردار جوان قبیله،
اما تو مدت درازی ست که مه سنگین را نفس می کشی
و به چیزی جز باران باور نمی خواهی کرد

و چطور به تو حکایت کنم از باغ های استوایی
یا از نخل های لاغر و عطر گیاهانی که نامی هنوز برایشان نیست...
تو می گریی؟ گوش کن... در دوردست، در آبگیر چاد
زرافه ی ظریفی قدم

 

ناشناخته
(Nikolay Gumilev`s site)

Николай Гумилёв
Жираф

Сегодня, я вижу, особенно грустен твой взгляд,
И руки особенно тонки, колени обняв.
Послушай: далёко, далёко, на озере Чад
Изысканный бродит жираф.

Ему грациозная стройность и нега дана,
И шкуру его украшает волшебный узор,
С которым равняться осмелится только луна,
Дробясь и качаясь на влаге широких озер.

Вдали он подобен цветным парусам корабля,
И бег его плавен, как радостный птичий полет.
Я знаю, что много чудесного видит земля,
Когда на закате он прячется в мраморный грот.

Я знаю веселые сказки таинственных стран
Про черную деву, про страсть молодого вождя,
Но ты слишком долго вдыхала тяжелый туман,
Ты верить не хочешь во что-нибудь, кроме дождя.

И как я тебе расскажу про тропический сад,
Про стройные пальмы, про запах немыслимых трав…
Ты плачешь? Послушай… далёко, на озере Чад
Изысканный бродит жираф.

Стихотворение Николая Гумилёва «Жираф» на персидском.
(Nikolay Gumilev in persian).